दुर्ग @ news-36. 90-92 वर्ष की आयु में कोमार्बिड होने के साथ कोरोना से जल्द रिकवर होना अदभुत है। 92 वर्षीय तीजबती और 90 साल की राधिका बाई की कहानी भी कुछ ऐसी ही है। जिससे पढ़कर बहुत से लोगों को कोविड से लडऩे की प्रेरणा मिलेगी। इस उम्र में भी कोमार्बिड होने के बावजूद वो इस बीमारी से बाहर आ गईं। बुजुर्गों की यह कहानियां बताती हैं कि किसी भी आयु में और किसी भी तरह की कोमार्बिडिटी होने पर भी कोरोना से बाहर आना पूरी तरह संभव है।

ढोल नंगाड़ा से स्वागत
जामुल में 92 वर्ष की दादी मां ने जब कोविड को मात दी तो उनका घर में स्वागत ढोल बजाकर किया गया। तीजबती के घर में सबसे पहले उनके बेटे को कोविड के लक्षण आये। मां चिंतित हुई और खाना-पीना कम कर दिया। उनकी भी आरटीपीसीआर जांच हुई तो पाजिटिव आया। जामुल में सेवाभावी संस्था श्री राधा कृष्ण संस्कार मंच ने कोविड केयर सेंटर खोला है जिसके लिए प्रशासन ने बीते दिनों अनुमति दी थी। यहां दादी का इलाज आरंभ हुआ। संस्था के संयोजक ईश्वर उपाध्याय ने बताया कि यहां मरीजों की देखभाल कर रहे डॉ. शाहिद ने बताया कि इनका आक्सीजन लेवल 74 तक चला गया है। सीटी स्कैन की रिपोर्ट में सीटी स्कोर 14 दिखा रहा है। इनकी रिकवरी के लिए टीम को काफी मेहनत करनी होगी। पूरी टीम जुट गई और कमाल हुआ। इलाज कर रहे डॉ. शाहिद अनवर ने बताया कि इतनी जिला अस्पताल में 90 वर्षीय महिला इलाज के बाद पूरी तरह स्वस्थ है।

गणपति विहार दुर्ग की रहने वाली है राधिका
गणपति विहार दुर्ग से राधिका बाई भी जिला अस्पताल में पांच दिन में स्वस्थ्य हो गई। उन्हें हल्का इंफेक्शन था। किसी तरह की मार्बिडिटी नहीं थी। जब वे डिस्चार्ज हुईं तो पूरी तरह स्वस्थ थीं और आक्सीजन लेवल 98 था। राधिका बाई का इलाज कर रहे डॉक्टरों ने बताया कि अच्छी इम्यूनिटी होने की वजह और प्रॉपर मेडिसीन प्लॉन की वजह से उनकी रिकवरी तेजी से हुई। राधिका बाई के परिजनों ने बताया कि जिला अस्पताल में बहुत अच्छा इलाज हुआ। हम लोग बहुत खुश हैं और इन्हें घर ले जा रहे हैं। हमारी सारी चिंता दूर हो गई