दुर्ग @ news-36. फेसबुक, ट्विटर समेत अन्य सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का आपत्तिजनक, भड़काऊ या फि र अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या फि र तस्वीर शेयर करते हैं, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है.
इस संबंध में जिला विधिक सेवा के अध्यक्ष व न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार वर्मा, आनंद प्रकाश वरियाल एवं सुशील कुमार जयसवाल ने वर्चुअल प्रोग्राम के माध्यम से पाटन, धमधा और दुर्ग ब्लॉक के शासकीय स्कूलों के विद्यार्थियों को कानूनी जानकारी प्रदान की। न्यायाधीशों ने बताया कि लोग घरों में बैठे और ज्यादातर समय इंटरनेट में बिता रहे हैं। बैंकिंग का काम भी ऑनलाइन ही हो रहा। ऐसे में कुछ हैकर्स एक्टिव होकर मौका का फायदा उठा रहे हैं और लोगों को कभी कोई स्कीम के नाम पर, तो कभी डोनेशन के नाम पर चूना लगा रहा है। कुछ लोग सोशल मीडिया पर फर्जी अकाउंट बनाकर ठगने का काम भी कर रहे हैं।
रहे सावधान, प्रोफाइल को करें लॉक
जिला विधिक सेवा के अध्यक्ष व न्यायाधीश राजेश श्रीवास्तव ने बताया कि सोशल नेटवर्किंग का इस्तेमाल करते समय अलर्ट रहना चाहिये। हर दिन फ र्जी फेसबुक अकाउंट से धोखाधड़ी के कई मामले सामने आ रहे हैं। साइबर ठग फेसबुक का फर्जी अकाउंट खोलकर लोगों से चैटिंग कर रहे हैं और यह काम इतनी होशियारी से किया जा रहा है कि यूजर्स को खबर तक नहीं लग पाती कि उसके फ र्जी खाते का इस्तेमाल किया जा रहा है।
साइबर ठग सबसे पहले आपके प्रोफ इल से आपका फोटो डाउनलोड कर के आपके नाम से फेक अकाउंट बनाकर आपके फ्रें ड को रिक्वेस्ट भेजता है। जैसे ही फ्रें ड रिक्वेस्ट को आपका फेसबुक फ्रें ड मंजूर करता है वैसे ही आपके फ्रेंड से डोनेशन के नाम पर पैसे मांगा जाता है। ये साइबर ठग अपनी बातों में ऐसे उलझाते हैं कि लोग उनके झांसे में आ जाते हैं। फिर वॉलेट से पैसा मांग जाता है। कुछ ऐसे भी मामले आए हैं। जिनमें साइबर ठग लोगों को विश्वास में लेकर उनके वॉलेट की जानकारी मांगते हैं और फि र उसे खाली कर देते हैं।
ये सावधानी जरूर अपनाएं
सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते समय बेहद अलर्ट रहें और किसी डोनेशन के मेल या रिक्वेस्ट पर ध्यान न दें।
सोशल मीडिया अकाउंट का पासवर्ड बदलते रहें।
अपने सोशल अकाउंट की प्राइवेसी को बदलते रहें। अपनी फ्रें ड लिस्ट को प्राइवेट रखें।
अपने सोशल मीडिया अकाउंट को पब्लिक न करें।
है अभिव्यक्ति की आजादी, लेकिन भावनाएं आहत न हो
संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की आजादी दी गई है। इंटरनेट और सोशल मीडिया ने इसे प्रोत्साहित करने में अहम रोल निभाया है, अगर किसी पोस्ट पर या फि र किसी पोस्ट को शेयर करने से किसी की भावना आहत होती है या दो समुदायों के बीच नफ रत पैदा होती है, तो आपको जेल जाना पड़ सकता हेै। इसलिए आप फेसबुक, ट्विटर, टिक-टॉक, शेयर चैट, यूट्यूब समेत अन्य सोशल मीडिया पर किसी भी तरह का आपत्तिजनक, भड़काऊ या फिर अलग-अलग समुदायों के बीच नफ रत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या फि र तस्वीर शेयर करने से बचे, नहीं तो आपको जेल जाना पड़ सकता है।
जानें क्या कहता है धारा 67
इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी यानी आईटी एक्ट 2000 की धारा 67 में प्रावधान किया गया है कि अगर कोई इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से आपत्तिजनक पोस्ट करता है या फिर शेयर करता है, तो उसके खिलाफ मामला दर्ज किया जा सकता है।
इसका मतलब यह है कि यदि कोई टिक टॉक, शेयर चैट, फेसबुक और ट्विटर समेत किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर पोस्ट करके अलग-अलग समुदायों के बीच नफ रत फैलाने की कोशिश करता है, तो उसके खिलाफ आईटी की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है।