
मुंबई. महाराष्ट के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री पद इस्तीफा दे ही दिया। ठाकरे बुधवार की रात राजभवन पहुंचे और राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को अपना इस्तीफा सौंपा। राज्यपाल ने मुख्यमंत्री ठाकरे का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है। वहीं राज्यपाल ने उन्हें वैकल्पिक व्यवस्था होने तक पद पर बने रहने के लिए कहा है। राजभवन निकलने के बाद ठाकरे अपने आवास मातोश्री पहुंचे।
इधर एकनाथ शिंदे विधायकों के साथ गोवा पहुंच चुके हैं। ठाकरे के इस्तीफे के बाद कहा जा रहा है कि भाजपा 1 जुलाई को सरकार बना सकती है। भाजपा ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी है। दरअसल महाराष्ट्र में पिछले 10 दिन से जारी सियासी संग्राम के बीच उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली महाविकास आघाड़ी सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी परदीवाला की अवकाशकालीन पीठ ने प्रभु के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से पूछा की बहुमत परीक्षण बागी सदस्यों की अयोग्यता प्रक्रिया को कैसे प्रभावित करेगा? या स्पीकर की शक्तियों में दखल कैसे है? पीठ ने कहा कि हमारी समझ से लोकतंत्र के मसलों को हल करने के लिए फ्लोर टेस्ट एकमात्र तरीका है। इसके बाद ठाकरे ने इस्तीफा दिया।
इस्तीफा देने से पहले ये कहा
उद्धव ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है, उसे मानना पड़ेगा। मुझे मुख्यमंत्री पद छोड़ने की कोई चिंता, दुख नहीं है। मैं जो करता हूं शिवसैनिक, मराठी और हिंदुत्व के लिए करता हूं। मैं चुप बैठने वाला नहीं हूं। मैं डरने वाला नहीं हूं। मैं बृहस्पतिवार से शिवसेना भवन में बैठूंगा। शिवसैनिकों से संवाद साधूंगा और एक नई शिवसेना तैयार करूंगा। शिवसेना ठाकरे परिवार की है और इसे हमसे कोई नहीं छीन सकता। कई शिवसैनिकों को नोटिस भेजा गया है। मेरी शिवसैनिकों से अपील है कि जब वे (बागी विधायक) मुंबई आए तो कोई उनके सामने न आए। वे सड़कों पर न उतरें।
उद्धव ने शिवसेना के बागी विधायकों के नेता एकनाथ शिंदे पर परोक्ष रूप से निशाना साधा। कहा कि जिन्हें शिवसेना ने बड़ा बनाया, जिन चाय वाले, रेहड़ी वाले को पार्षद, विधायक, सांसद और मंत्री बनाया, वे शिवसेना के उपकार को भूल गए और दगाबाजी की। उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद जो संभव था, वह दिया फिर भी वे नाराज हो गए। यह जो हुआ वह अनपेक्षित था।
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