दुर्ग @ News-36. लाकडाउन लगाने का असर दिखाई दे रहा है और कोरोना संक्रमण का चेन टूट रहा है। यानी वायरस का संक्रमण की दर में कमी आई है। एंटीजन रिपोर्ट के मुताबिक एक हफ्ते में दुर्ग जिले में कोरोना संक्रमण में16 फीसद कमी आई है।
10 अप्रैल को लगभग 2596 लोगों के एंटीजन टेस्ट किये गए, इनमें 1259 पाजिटिव आये। यह कुल आंकड़ों का 48 प्रतिशत थे।
15 अप्रैल यानी गुरुवार को 2723 लोगों की टेस्टिंग एंटीजन के माध्यम से हुई। इनमें 879 पाजिटिव आये। यह कुल आंकड़ों का 32 प्रतिशत है।
बीते चार दिनों के आँकड़े देखें तो संक्रमण का दर क्रमश:36, 33, 30 एवं 32 प्रतिशत रहा है।
गिरावट यह साबित करती है कि
इस तरह एंटीजन टेस्ट में हुई क्रमश: गिरावट यह साबित करती है कि लाकडाउन जिले में प्रभावी होता दिख रहा है और कोरोना संक्रमण पर इससे रोकथाम लगी है। एंटीजन टेस्ट के रिजल्ट मौके पर ही मिल जाते हैं इसलिए इनके नतीजे हर दिन के संक्रमण की स्थिति स्पष्ट रूप से बयान करती है।
लॉकडाउन से पहले तेजी से बढ़ रहा था संक्रमण
बता दें कि डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे द्वारा 6 अप्रैल को लॉक डाउन डाउन लगाया गया था। उस दिन 2659 टेस्ट हुए और 529 पाजिटिव हुए। यह कुल मरीजों का 20 प्रतिशत था। अगले दिन यह आंकड़ा 34 प्रतिशत रहा, फि र इसके बाद दो दिनों तक 40 और 41 प्रतिशत रहा। फिर अगले दो दिन 48 प्रतिशत तक रहा। इससे यह पता चलता है कि संक्रमण किस तेजी से बढ़ रहा था। लाकडाउन ने इसकी गति पर रोक लगाई।
यदि लाकडाउन नहीं लगाया जाता तो यह प्रतिशत कई गुना बढ़ जाता। यह प्रश्न मन में उभर सकता है कि लाकडाउन के दो-तीन दिनों में ही बेहतर नतीजे एंटीजन टेस्ट में क्यों नहीं दिखे। इसका कारण यह है कि कोरोना वायरस संक्रामक बीमारी है और इसके लक्षण दो-तीन दिनों तक उभरते हैं अतएव एकदम से लाकडाउन के बाद संक्रमण नहीं रूकता, इसमें थोड़ा समय लगता है। इसके साथ ही कारण यह भी है कि इस वेव में पूरे परिवार पर संक्रमण का असर देखा गया है। परिवार के एक व्यक्ति के संक्रमित होने पर थोड़ा भी ध्यान नहीं रखने पर पूरे परिवार के संक्रमण की आशंका बनती है। अधिकतर मामलों में यही हुआ। इन आंकड़ों से साफ जाहिर है कि लाकडाउन की टाइमिंग बिल्कुल सही थी और इसके नतीजे प्रभावी रहे हैं।
लाकडाउन है सबसे प्रभावी तरीका
इतिहास संक्रामक बीमारियों का गवाह रहा है। यूरोप में जब अचानक ऐसे किसी वायरस से मौतें होती थीं तो इसे ब्लैक डेथ कहते थे और लोग क्वारंटीन का निर्णय लेते थे। भारत में भी बीमार पडऩे पर चौदह दिनों की अवधि के बाद शुद्धिकरण करते हैं। भगवान जगन्नाथ जब बीमार होते हैं तो चौदह दिन की अवधि गुंडिचा मंदिर में बीताते हैं। दरअसल लाकडाउन से वायरस के प्रसार की क्षमता कम हो जाती है क्योंकि जब उसे संक्रमण के लिए नये शरीर नहीं मिलते तो इसके फैलने की दर घटने लगती है। यही वजह है कि दुनिया के सभी देशों में लाकडाउन का उपयोग बड़े समुदाय तक संक्रमण को रोकने के लिए हुआ है।
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