
श्री पांडे ने कहा, “सभी प्रमुख खाद्य तेल ब्रांडों ने कीमतों में 10-15 रुपये की कटौती की है। उन्होंने कहा कि विभाग द्वारा निरंतर निगरानी और हस्तक्षेपों के कारण यह संभव हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक, फॉर्च्यून रिफाइंड सनफ्लावर ऑयल का 1 लीटर पैक की एमआरपी 220 रुपये से घटकर 210 रुपये हो गया है। सोयाबीन (फॉर्च्यून) और कच्ची घानी तेल के 1 लीटर पैक की एमआरपी 205 रुपये से घटकर 195 रुपये हो गई है।
गड़बड़ी रोकने कई राज्यों में दी दबिश
डीएफपीडी के संयुक्त सचिव पार्थ एस दास ने कहा कि दो चरणों में महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और कर्नाटक में क्रमशः 156 और 84 संस्थाओं का अचानक निरीक्षण किया गया। निरीक्षणों के बाद मनमानी करने वाली संस्थानों में सुधार हुआ। उन्होंने बताया कि चरण-I में 53 संस्थाओं और चरण-II में जिन 12 संस्थाओं के निरीक्षण किए गए, जो केन्द्रीय स्टॉक नियंत्रण आदेश पर चूक कर रही थी। उन संस्थानों के खिलाफ सरकारों से आवश्यक वस्तु कानून, 1955 के तहत उचित कार्रवाई के लिए पत्र लिखा गया। इसके बाद कीमतों में सुधार हुआ।
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अब दिसंबर तक कर सकेंगे आयात
बता दें कि पिछले एक साल से खाना पकाने के तेल की कीमतों में लगातार वृद्धि को नियंत्रित करने के लिए, केन्द्र सरकार ने पहले कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क 2.5 प्रतिशत से घटाकर शून्य कर दिया था। इन तेलों पर कृषि उपकर 5 प्रतिशत कर दिया गया है। रिफाइंड सोयाबीन तेल और परिष्कृत सूरजमुखी तेल पर मूल शुल्क मौजूदा 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत कर दिया गया है और रिफाइंड पाम तेल पर मूल शुल्क 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत कर दिया गया है। सरकार ने रिफाइंड पाम तेल के मुफ्त आयात की अवधि 31 दिसंबर 2022 तक बढ़ा दी है।
तेल की स्टॉक सीमा तय
जमाखोरी और मुनाफाखोरी को रोकने खाद्य तेलों और तिलहनों पर स्टॉक सीमा 31 दिसंबर 2022 तक की अवधि के लिए लगाई गई है। राज्य सरकारों को नियंत्रण आदेश को सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए हैं। तिलहन उत्पादक/उपभोक्ता राज्यों में खुदरा विक्रेताओं, थोक विक्रेताओं, बड़ी श्रृंखला के खुदरा विक्रेताओं और प्रसंस्करणकर्ताओं द्वारा रखे गए खाद्य तेलों और तिलहनों के स्टॉक का निरीक्षण करने के लिए केन्द्रीय टीम गठित की गई है।
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