@ News-36. पिता को महीनों से गुम हुए उनका कलेजे का टुकड़ा मिल जाए तो ,पिता के लिए इससे बड़ी खुशी कुछ और नहीं सकता। माता-पिता के लिए बच्चा ही सबसे बड़ी खुशी और जीवन की उम्मीद है। कुछ ऐसा ही ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ में सामने आया है। दरअसल में तीन साल पहले गुम हुए बालक जय (परिवर्तित नाम)को छत्तीसगढ़ की पुलिस और प्रशासन ने सकुशल माता-पिता को सौंपकर सराहनीय कार्य किया है। वह भी एक ऐसे बालक,जो बोल व सुन नहीं सकता। इस चुनौती पूर्ण कार्य में सूरजपुर कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार का मार्गदर्शन विशेष रहा है।

वीडियो से बात कराने में पहचान लिया बहन को
चाईल्ड लाइन द्वारा पतासाजी करने पर सिलफि ली के एक गांव से गोड़ परिवार से 3 साल पूर्व एक ऐसे ही बालक के लापता होने की सूचना मिली। जिस पर जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया, बाल सरंक्षण अधिकारी प्रियंका सिंह व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के साथ माता-पिता से मिलने गांव गए। उनके बातचीत से बच्चे का हुलिया मिलान के लिए वीडियो कॉल के द्वारा उस बच्चे को माता-पिता व उसके छोटे भाई बहनों से बात कराया। बालक ने अपनी छोटी बहन को पहचान लिया। सांकेतिक भाषा के द्वारा पुष्टि करने पर बच्चे का गृह सत्यापन रिपोर्ट तैयार किया। डीसीपीओ मनोज जायसवाल ने रिपोर्ट नई दिल्ली भेजा गया। साथ ही बालक को सकुशल लाने के लिए टीम दिल्ली गई। गृह सत्यापन पर बालक के माता-पिता ने बताया कि बालक जय (परिवर्तित नाम) तीन वर्ष पहले कहीं चला गया था। जिसका आसपास पता किया गया,पर पता नहीं चल पाया था।
मामला छत्तीसगढ़ के सिलफिली गांव का
मामला छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिले के सिलफिली गांव का है। जहां गोड़ परिवार रहता है। उसका बालक तीन साल पहले कहीं चला गया था। परिवार के लोग उन्हें ढूंढने का अथक प्रयास किया, लेकिन कहीं कुछ भी पता नहीं चल पाया। बेटे के बिछुडऩे के दु:ख से व्यथित होकर माता-पिता ने यह जिम्मेदारी महिला बाल विकास विभाग और पुलिस को दी।तब से सूरजपुर जिला प्रशासन की टीम अपने स्तर पर खोजबीन कर रही थी। इसी बीच नई दिल्ली से जिला महिला बाल विकास विभाग के माध्यम से कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार को सूचना प्राप्त हुआ कि, एक बालक है, जो बोल नहीं पाता और भी सुन नहीं सकता है वह उनके पास है। कलेक्टर डॉ. गौरव कुमार सिंह ने मामले को गंभीरता से लेते हुए महिला बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी चन्द्रबेस सिंह सिसोदिया को चाइल्ड लाइन और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से बालक के माता-पिता के बारे में पता लगाने के निर्देश दिए।
बालक को लेकर लौटी टीम
टीम बाल को 18 जून को सकुशल वापिसी हुई। इसके बाद सभी सदस्यों का कोविड टेस्ट हुआ। बालक को बाल कल्याण समिति सुरजपुर की मौजूदगी में उसके माता-पिता को सुपुर्द किया गया। बालक के घर पहुंचते ही परिवार के अन्य सदस्यों की खुश हुए। पड़ोसी भी बालक से मिलने आए।
बालक को माता-पिता से मिलने में इनका योगदान सराहनीय
बालक जय को परिवार से मिलाने में डीसीपीओ मनोज जायसवाल, जिला बाल संरक्षण इकाई के परामर्शदाता जैनेन्द्र दुबे, चाइल्ड लाइन के केंद्र समन्वयक कार्तिक मजूमदार, पुलिस स्टाफ थाना जयनगर से सिदार कर योगदान सराहनीय है।
