अन्नदाताओं की जेब पर आर्थिक मार, 50 किलो डीएपी की बोरी का कीमत हुआ 1900 रुपए, मंत्री चौबे ने कीमत कम करने केन्द्र को लिखा पत्र

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भिलाई @ news-36.खेती की शुरुआत हुई नहीं कि अन्नदाताओं पर आर्थिक बोझ लादने की पूरी योजना बन गई है। उत्पादक कंपनियों ने बढ़ी हुई दरों से ही सहकारी मर्यादित समितियों में फ र्टिलाइजर्स की सप्लाई भी शुरू कर दिया है। रासायनिक उर्वरकों के दामों में की गई वृद्धि के चलते किसानों को इस खरीफ सीजन में दोहरी मार पडऩा तय है।
डीएपी की कीमत में रुपए 500 की वृद्धि
इस साल किसानों को डीएपी खाद 1900 रुपए प्रति बोरी में क्रय करनी होगी। पिछले वित्तीय वर्ष 2020 खरीफ सीजन में सब्सिडी कटौती करने के बाद डीएपी खाद किसानों को 1250/1280 रुपए प्रति बोरी पड़ी थी। रबी सीजन (जनवरी-मार्च)2021 में 1200 रुपए प्रति बोरी की दर से प्रदाय की गई थी। जिसमें अब 500 रुपए की वृद्धि की गई है। यानी इस खरीफ सीजन में 50 किलोग्राम की बोरी 1900 रुपए का हो गया है।
इसी तरह रासायनिक खाद एनपीके के दाम में भी प्रति बोरी 565 रूपए की वृद्धि की गई है। अब यह खाद किसानों को 1185 रुपए प्रति बोरी के स्थान पर 1747 रुपये प्रति बोरी देकर खरीदना होगा। सिंगल सुपर फास्फेट (राखड़ खाद) के दाम में प्रति बोरी लगभग 36 रुपये की वृद्धि हुई है। रासायनिक खाद एमओपी के दाम में भी प्रति बोरी 150 रुपए की वृद्धि की गई है। इसका दाम 850 रुपये प्रति बोरी से बढ़ाकर 1000 रुपये प्रति बोरी कर दिया गया है।
जानिए खाद में सब्सिडी
भारत सरकार की ओर से डीएपी और इफ को और पोटाश में सब्सिडी दिया जाता है। यह सब्सिडी सीधे फ र्टिलाइजर कंपनी के खाते में जमा होती है। कंपनी राज्यों को डिमांड के अनुसार खाद सप्लाई करता है। सब्सिडी को माइनस करने के बाद जो कीमत बनती है। उसी कीमत पर सहकारी समितियों से किसानों को खाद खरीदना पड़ता है। 2019 तक 50 किलोग्राम डीएपी के बोरी पर भारत सरकार से 520 रुपए कंपनी को सब्सिडी दिया था। इस वित्तीय वर्ष में भी सब्सिडी की राशि कटौती करने के बाद ही क्रिय मूल्य तय होगा। विक्रय मूल्य ही क्रिसान खाद क्रय करेंगे।

ऐसी स्थिति में खेती की लागत बढ़ जाएगी। केंद्र सरकार से कोरोना संकटकाल में किसानों को राहत देने के लिए रासायनिक उर्वरकों के दामों में हुई वृद्धि को वापस लिए जाने का आग्रह किया है।
रविन्द्र चौबे, कृषि मंत्री,

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