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‘सनातन वैदिक धर्म’ के अनुयायियों ने सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

नई दिल्ली @ News-36. संगठन ‘सनातन वैदिक धर्म’ के अनुयायियों ने मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति पर जस्टिस राजिंदर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। साल 2006 में सच्चर कमेटी ने सामाजिक ,आथैक और शैक्षणिक स्थिति पर रिपोर्ट दी थी। जिसे लेकर सनातन वैदिक धर्म के अनुयायियों ने जनहित याचिका दायर कर 9 मार्च 2005 को प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सच्चर समिति का गठन करने वाली अधिसूचना को चुनौती दी है।इस याचिका में यह भी कहा गया है कि ‘मुसलमानों की परिवार नियोजन में कोई दिलचस्पी नहीं है। इसी वजह से उनका परिवार आमतौर पर काफी बड़ा होता है और बच्चों को उचित भोजन और पोषण नहीं मिल पाता है। इसके अनुसार समिति ने इन सभी पहलुओं पर कोई विचार नहीं किया है.

याचिका में यह भी गया है कि वह अधिसूचना किसी कैबिनेट निर्णय का नतीजा नहीं थी बल्कि तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की इच्छा पर आधारित थी। साथ ही यह दावा किया गया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री ने अपनी मर्जी से मुस्लिम समुदाय की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति का परीक्षण करने के लिए समिति नियुक्त करने का निर्देश जारी किया, जबकि अनुच्छेद 14 व 15 के आधार पर किसी भी धार्मिक समुदाय के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जा सकता।याचिका में कहा गया है कि सामाजिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े वर्गों की स्थिति की जांच के लिए एक आयोग नियुक्त करने की शक्ति भारत के संविधान के अनुच्छेद-340 के तहत भारत के राष्ट्रपति के पास निहित है। याचिका में कहा गया है कि समिति का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद-77 के उल्लंघन है। 

इसमें कहा गया है कि सच्चर समिति असंवैधानिक और अवैध है क्योंकि यह राष्ट्रपति के आदेश के तहत नहीं है। वकील विष्णु शंकर जैन के माध्यम से दायर याचिका में गया है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग की सामाजिक व आर्थिक स्थिति किसी भी अन्य समुदाय या धार्मिक समूह से भी बदतर है।
 
याचिका में कहा गया है कि समिति यह समझने में विफल रही कि मुस्लिम माता-पिता अपने बच्चों को स्कूल भेजने की बजाए ‘मदरसों’ में धार्मिक शिक्षा देने में अधिक रुचि क्यों रखते हैं। सरकार को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह सच्चर समिति की रिपोर्ट पर भरोसा कर मुसलमानों के पक्ष में कोई नई योजना न लाए।

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