रायपुर @ News-36. नगर पालिक निगम रिसाली के महापौर पद के आरक्षण से संबंधित याचिका पर उच्च न्यायालय बिलासपुर में अगले सप्ताह सुनवाई होगी। सामाजिक कार्यकर्ता व कांग्रेस नेता अली हुसैन सिद्दीकी ने जनहित याचिका दायर कर उच्च न्यायालय से भिलाई और रिसाली निगम चुनाव पर स्टे की मांग की है। याचिकाकर्ता और नगरीय प्रशासन की ओर से दलील होने के बाद न्यायालय ने याचिका को स्वीकार कर लिया है। न्यायालय से नगरीय प्रशासन को महापौर पद के आरक्षण के संबंध में जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे। नगरीय प्रशासन ने 25 जून को न्यायालय में अपना जवाब प्रस्तुत कर दिया है। अब इस याचिका पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी।
2019 में आरक्षण के समय प्रदेश में था 13 नगर पालिक निगम
याचिकाकर्ता सिद्दीकी ने याचिका में कहा है कि, 18 सितंबर 2019 को छत्तीसगढ़ के 13 नगर निगम का आरक्षण किया गया था। उस समय 2011 के जनगणना के हिसाब से अनुसूचित जाति का सर्वाधिक जनसंख्या प्रतिशत होने के कारण से अनुसूचित जाति के लिए भिलाई चरोदा और अनुसूचित जाति महिला के लिए रायगढ़ को आरक्षित किया गया था। उसी तरह अनुसूचित जनजाति बाहुल्य अंबिकापुर को अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित किया गया था और 25 प्रतिशत के हिसाब से अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोरबा और धमतरी, अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के लिए राजनांदगांव को आरक्षित किया गया था। महिला वर्ग के लिए जगदलपुर और चिरमिरी को आरक्षित किया गया था। बचे हुए चार नगर पालिक निगम भिलाई , दुर्ग, बिरगांव बिलासपुर और रायपुर को अनारक्षित (मुक्त) रखा गया था। तब तक नियमानुसार सब ठीक था।
रिसाली निगम के अस्तित्व में आने के बाद प्रदेश में हो गए 14 निगम
28 दिसंबर 2019 को भिलाई नगर निगम के 13 वार्डों के साथ अलग होकर 14 वें नगर निगम के रूप में रिसाली अस्तित्व में आया। नए सिरे से परिसीमन कर 40 वार्डों का रिसाली नगर पालिक निगम बना। नियम कानून को ताक में रखकर 16 मार्च 2021 सिर्फ रिसाली के महापौर पद का आरक्षण 16 मार्च 2021 को अन्य पिछड़ा वर्ग महिला के रूप में आरक्षित कर दिया गया। जबकि रिसाली नगर निगम में अनुसूचित जाति की जनसंख्या का प्रतिशत 14 नगर निगमों में सर्वाधिक 17.47 प्रतिशत है। भिलाई चरोदा का अनुसूचित जाति की जनसंख्या का प्रतिशत 15.73 है। इस हिसाब से रिसाली नगर निगम को अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित किया जाना था। चरौदा-भिलाई को अनुसूचित जाति वर्ग से मुक्त कर नियमानुसार नगर पालिक निगम भिलाई और बिरगांव के साथ चरोदा का भी आरक्षण चक्रानुक्रम (रोटेशन) या चिट (लॉटरी)निकालकर किसी एक को अन्य पिछड़ा वर्ग, दूसरे को महिला वर्ग और, तीसरे को अनारक्षित वर्ग के लिए आरक्षण किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। बचे हुए ओबीसी वर्ग का आरक्षण और महिला वर्ग का आरक्षण रिसाली नगर निगम को ओबीसी महिला आरक्षित कर खानापूर्ति कर ली गई।
याचिकाकर्ता की ओर से ये तर्क दिया गया है
- छत्तीसगढ़ नगर पालिक निगम अधिनियम 1956 की धारा 11 (क) महापौर के पद का आरक्षण और छत्तीसगढ़ नगर पालिका (महापौर तथा अध्यक्ष के पद का आरक्षण) नियम 1999 के स्पष्टीकरण में इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख है कि, जब किसी नए नगर निगम का गठन होता है तो उस निगम के महापौर पद का आरक्षण जिन निगमों में चुनाव संपन्न नहीं हुए हैं। उन निगमों को शामिल करते हुए महापौर के पद का आरक्षण किया जाना है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। सिर्फ रिसाली नगर निगम के महापौर के पद का आरक्षण किया गया जो कि नियम विरुद्ध है।
- भिलाई नगर निगम के महापौर के पद का आरक्षण किया गया था तब 2011 की जनगणना के अनुसार भिलाई नगर निगम की जनसंख्या 625700 थी। रिसाली नगर निगम के गठन के बाद भिलाई नगर निगम की जनसंख्या 516562 है। इस हिसाब से भी भिलाई नगर निगम के महापौर के पद का आरक्षण दोबारा किया जाना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
यदि फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष मेंं आता है तो
यदि फैसला याचिकाकर्ता के पक्ष मेंआता था तो नगर पालिक निगम भिलाई-चरोदा एससी आरक्षण से मुक्त हो जाएगा। जिससे अन्य वर्ग को फायदा होगा। क्योंकि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित अहिवारा विधानसभा क्षेत्र का एकमात्र नगर पालिक निगम भिलाई-चरोदा का महापौर पद एससी वर्ग के लिए आरक्षित है। एससी के लिए आरक्षित होने की वजह से अन्य वर्ग के लोगों को प्रतिनिधित्व करने का अवसर पर प्राप्त नहीं हुआ है। वहीं नव गठित नगर पालिक निगम रिसाली के महापौर का पद पर एससी वर्ग प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सकता है - ।नगर पालिक निगम भिलाई ओबीसी के लिए आरक्षित हो सकता है। क्योंकि दो बार महिला हो चुका है और दो बार सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हो चुका है। इस वजह से रोटेशन में ओबीसी वर्ग को प्रतिनिधित्व करने का मौका मिल सकता है। बीरगांव नगर पालिक निगम महिला के लिए आरक्षित हो सकता है।