नव गठित जिला सारंगढ़ की दुकानों के बाहर लगा हुआ है..पान, पानी, पा लगी का पोस्टर, क्या आप जानते हैं इसके मायने

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Chhattisgarh
दुकानों के बाहर मुख्यमंत्री के स्वागत में इस तरह के पोस्टर लगाए हुए हैं।
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  • छत्तीसगढ़ के 30वां जिला बना सारंगढ़
  • कार्यक्रम में शामिल होने पर पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का राइस मिल एसोसिएशन सारंगढ़-बिलाईगढ़ पुष्प माला से किया गयाआत्मीय स्वागत 
  • सारंगढ़-बिलाईगढ़ के ऐतिहासिक उद्घाटन समारोह में रोड शो उमड़ा जनशैलाब

सारंगढ़ .नव गठित जिला के कार्यक्रम में शामिल होने सारंगढ़ पहुंचे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्वागत में दुकानों के बाहर पान, पानी, पा लगी लिखा हुआ पोस्टर बैनर लगा हुआ है। क्या आप जानते हैं इन तीन शब्दों के मायने। अगर नहीं तो, तो क्या आप जानना चाहते हैं इस लाइन के बारे में, तो चलिए हम बताते हैं आखिर लाेगों ने अपने दुकानो के सामने ऐसा पोस्टर लगाने के क्या मायने हैं।

रायगढ़ से अलग होकर सारगंढ छत्तीसगढ़ का 30वां जिला बन गया है। नया जिला बनने से यहां के लोग बेहद खुश हैं और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के स्वागत के लिए अपने प्रतिष्ठानों को सजाकर रखे हुए हैं। मुख्यमंत्री के स्वागत में व्यापारियों ने अपने दुकानों के सामने पान, पानी और पालगी लिखा हुआ स्टीकर एवं पोस्टर बैनर से लगाए हुए हैं।

बारे में पूछने पर यहां के बड़े बुजुर्ग बताते हैं कि ये लाइन सारंगढ़ की पहचान हैं। पहले यहां पान के बहुत शौकीन थे और यहां पर कई जगह पान की खेती भी होती है। बहुत से तालाब हुआ करते थे जिससे यहां पानी की कभी कमी नहीं हुई । छत्तीसगढ़ की संस्कृति में बड़ों का सम्मान स्वरूप प्रणाम करने पर पा लगी कहते हैं।

इस प्रकार पान , पानी और पालगी सारंगढ़ के लोगों की पहचान और हमारी जीवन शैली का अहम हिस्सा बन चुका है। इसलिए हम लोगों ने अपने मुखिया के स्वागत में सारंगढ़ की पहचान बन चुकी इन पंक्तियों को लिखकर रखा है ।

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सारंगढ़ में लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री

कांजीवरम सिल्क साड़ी से बनी मुकुट किया भेंट

मुस्लिम जमात सारंगढ़ द्वारा मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया। नवीन जिला सारंगढ़-बिलाईगढ़ के शुभारंभ अवसर पर रोड शो के दौरान नृत्यश्री धारा इंस्टीट्यूट, रायपुर के छोटे-छोटे बच्चों द्वारा करमा लोकनृत्य के मनमोहक प्रस्तुति के साथ मुख्यमंत्री को बेंगलुरु से निर्मित तथा तिरुपति बालाजी मे चढ़ाए गए मुकुट, साल और माला भेटकर स्वागत किया गया। मुकुट का निर्माण कांजीवरम सिल्क साड़ी से किया गया है।

 

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