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अभिषेक हत्याकांड : साढ़े पांच साल बाद आज केन्द्रीय जेल से रिहा हुई किम्सी

भिलाई @ news-36.बहुचर्चित अभिषेक हत्याकांड में निरुद्ध किम्सी जैन आज केन्द्रीय जेल दुर्ग से रिहा हो गईं। किम्सी साढ़े पांच साल से अभिषेक हत्याकांड के आरोप में केन्द्रीय जेल में निरुद्ध थी। आज दुर्ग जिला एवं सत्र न्यायालय के न्यायाधीश राजीव श्रीवास्तव ने वीडियो कान्फ्रेसिंग के जरिए फैसला सुनाया। जिसमें तीन अभियुक्त में से किम्सी जैन को रिहा करने का फैसला सुनाया गया। दो अभियुक्तों किम्सी के पति विकास जैन और उनके चाचा अजीत सिंह को हत्या के लिए अपराधिक षडयंत्र रचने, हत्या करने और साक्ष्य को छुपाने का दोषी पाया है। इसके लिए दोनों आरोपियों को जिंदगीभर के कारावास की सजा से दंडित किए जाने का फैसला सुनाया है। बता दें कि अभिषेक मिश्रा, श्रीशंकराचार्य गु्रप ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज के डायरेक्टर आईपी मिश्रा के एकलौता पुत्र था।

सुनवाई के दौरान आरोपी न्यायालय में थे उपस्थित
वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से जब फैसला सुनाया गया। तब दोनों आरोपी न्यायालय में उपस्थित थे। कोरोना संक्रमण की वजह से किम्सी को जेल से नहीं लाया गया था। प्रकरण पर प्रार्थी पक्ष की ओर से विशेष लोक अभियोजक सुरेश प्रसाद शर्मा ने पैरवी की। विशेष लोक अभियोजक बालमुकुंद चंद्राकर भी उपस्थित थे। आरोपी पक्ष से बीपी सिंह और उमा भारती थी।

  • पुलिस की केस डायरी के अनुसार
  • 9 नवंबर 2015 धनतेरस की शाम को अभिषेक मिश्रा अपने घर से निकला था। उसके बाद वह घर नहीं लौटा।
  • 10 नवंबर, दूसरे दिन अभिषेक मिश्रा के पिता आईपी मिश्रा ने किसी अज्ञात के खिलाफ 5 करोड़ फिरौती की मांग और अपहरण की शिकायत जिला दुर्ग के जेवरा चौकी में की।
  • 22 दिसंबर 2015 को पुलिस ने अभिषेक के मोबाइल लोकेशन और संदेह के आधार पर आरोपी विकास जैन व अजीत सिंह को हिरासत में लिया और पूछताछ में दोनों ने अपराध कबूला।

  • 45 दिन बाद 23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने अजीत सिंह के स्मृति नगर निवास स्थान से लगी बाड़ी से शव बरामद किया। आरोपियों ने शव को दफ ना कर मिट्टी के उपर फूल गोभी की सब्जी उगा दी थी। अंगूठी और लॉकेट को देख कर सड़ गल चुके शव की पहचान अभिषेक के रुप में परिजनों ने की थी। फिर भी पुलिस ने साक्ष्य के लिए डीएनए टेस्ट करवाया।
  • 23 दिसंबर 2015 को पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश कर पुलिस रिमांड लिया। पूछताछ कर केस डायरी तैयार किया।
  • 24 दिसंबर 2015 को पुलिस ने किम्सी जैन को दिल्ली से दुर्ग लाई और न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया। दो दिन बाद 26 दिसंबर 2015 को विकास जैन व किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह को न्यायालय में प्रस्तुत कर न्यायिक रिमांड लिया गया।

हत्या की वजह: पुलिस की केस डायरी के अनुसार


संबंध नहीं रखना चाहती थी…
पुलिस थ्योरी, जो केस डायरी में दर्ज है उसके अनुसार गंगाजल सोसायटी एजुकेशन सोसाइटी के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा के श्रीशंकराचार्य गु्रफ ऑफ इंजीनियरिंग कॉलेज में किम्सी काम करती थी, इस दौरान अभिषेक और किम्सी के नज़दीकी रिश्ते बन गए थे। 2013 में किम्सी ने श्रीशंकराचार्य कॉलेज की नौकरी छोड़कर विकास जैन से विवाह कर लिया, लेकिन इस बीच अभिषेक उनसे रिश्ता बनाए रखने के लिए दबाव बना रहा था। किम्सी ने यह बात अपने पति विकास जैन को बताया। समझाने के बाद भी जब परेशान करना बंद नहीं किया तो किम्सी ने अभिषेक को योजनाबद्ध तरीके 10 नवंबर 2015 को अपने घर बुलवाया। उसकी हत्या कर शव को किम्सी जैन के चाचा अजीत सिंह, उनके स्मृति नगर स्थित निवास से लगे बाड़ी में 6 फीट गहरा गड्ढे में दफना दिया था।

कई बार टली फैसले की तारीख

 https://news-36.com/wp/the-much-talked-about-abhishek-murder-case-the-verdict-of-several-times-postponed/

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