रायपुर @ news-36. जीवन में ऐसे कई पड़ाव आता हैं। जब हम हार मान जाते हैं। आत्म विश्वास कमजोर पड़ जाता है। मन दुखी हो जाता है, तो ऐसे में सुंदरकांड का पाठ आपको जीवन में कभी हार ना मानने की शक्ति देता है।
ऐसी मान्यता है कि हनुमान जी से जुड़ा कोई भी मंत्र या पाठ अन्य किसी भी मंत्र से अधिक शक्तिशाली होता है। हनुमान जी अपने भक्तों को उनकी उपासना के फ ल में बल और शक्ति प्रदान करते हैं। वैसे भक्त, हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। हनुमान चालीसा बड़े-बूढ़ों से लेकर बच्चों को जल्दी याद हो जाता है। हनुमान चालीसा के साथ यदि आप सुंदरकांड पाठ करें तो मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है।
गोस्वामी तुलसीदास के श्रीरामचरित मानस का पांचवा अध्याय
सुंदरकांड, गोस्वामी तुलसीदास द्वारा लिखी गई श्रीरामचरितमानस के सात अध्यायों में से पांचवा अध्याय है। रामचरित मानस के सभी अध्याय भगवान की भक्ति के लिए हैं, लेकिन सुंदरकांड का महत्व अधिक बताया गया है।
सुंदरकांड पाठ का महत्व
जहां एक ओर पूर्ण श्रीरामचरितमानस में भगवान के गुणों को दर्शाया गया है, उनकी महिमा बताई गई है। दूसरी ओर श्रीरामचरितमानस के सुंदरकांड की कथा सबसे अलग है। इसमें भगवान राम के गुणों की नहीं,बल्कि उनके भक्त के गुणों और उसकी विजय की बात बताई गई है।
आत्मविश्वास कम होने लगे तो जरूर करें पाठ, मिलेगा लाभ
सुंदरकांड का पाठ करने वाले भक्त को हनुमान जी बल प्रदान करते हैं। उसके आसपास भी नकारात्मक शक्ति भटक नहीं सकती। इस तरह की शक्ति प्राप्त करता है वह भक्त। यह भी माना जाता है कि जब भक्त का आत्मविश्वास कम हो जाए या जीवन में कोई काम ना बन रहा हो, तो सुंदरकांड का पाठ करने से सभी काम अपने आप ही बनने लगते हैं।
शास्त्रीय के साथ वैज्ञानिक मान्यता
किंतु केवल शास्त्रीय मान्यताओं ने ही नहीं, विज्ञान ने भी सुंदरकांड के पाठ के महत्व को समझाया है। विभिन्न मनोवैज्ञानिकों की राय में सुंदरकांड का पाठ भक्त के आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति को बढ़ाता है , मनोवैज्ञानिकों के अनुसार एक-एक पंक्ति और उससे जुड़ा अर्थ, भक्त को जीवन में कभी ना हार मानने की सीख प्रदान करता है।
विद्यार्थियों के लिए सुंदराकांड पाठ का महत्व
यदि संभव हो तो विद्यार्थियों को सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। यह पाठ उनके भीतर आत्मविश्वास को जगाएगा और उन्हें सफ लता के और करीब ले जाएगा। आपको शायद मालूम ना हो, लेकिन यदि आप सुंदरकांड के पाठ की पंक्तियों के अर्थ जानेंगे तो आपको यह मालूम होगा कि इसमें जीवन की सफ लता के सूत्र भी बताए गए हैं।
सफ ल जीवन के मंत्र
यह सूत्र यदि व्यक्ति अपने जीवन पर अमल कर ले तो उसे सफ ल होने से कोई नहीं रोक सकता। इसलिए यह राय दी जाती है कि यदि श्रीरामचरित्मानस का पूर्ण पाठ कोई ना कर पाए, तो कम से कम सुंदरकांड का पाठ अवश्य कर लेना चाहिए।
इस समय करें सुंदरकांड का पाठ
यहां तक कि यह भी कहा जाता है कि जब घर पर रामायण पाठ रखा जाए तो उस पूर्ण पाठ में से सुंदरकांड का पाठ घर के किसी सदस्य को ही करना चाहिए। इससे घर में सकारात्मक शक्तियों का प्रवाह होता है।
ज्योतिष के नजरिए से
ज्योतिष के नजरिये से यदि देखा जाए तो यह पाठ घर के सभी सदस्यों के ऊपर मंडरा रहे अशुभ ग्रहों छुटकारा दिलाता है। यदि स्वयं यह पाठ ना कर सकें, तो कम से कम घर के सभी सदस्यों को यह पाठ सुनना जरूर चाहिए। अशुभ ग्रहों का दोष दूर करने में लाभकारी है सुंदरकांड का पाठ।
मनविचलित हो रहा हो तो
सुंदरकांड पाठ करने से आत्मिक लाभ मिलता है। आत्मा शुद्ध होती है। सुंदरकांड का पाठ करने से आत्मा परमात्मा से मिलने के लिए तैयार होती है। मनुष्य इस जीवन रूपी दुनिया में जो करना आया है वही करता है। और सुंदर कांड पाठ करने से आत्मा की शुद्धि होती है।
रोग निवारण के लिए
सुंदरकांड का पाठ एक तीर से कई निशाने लगाने का नाम है। पाठ करने से रोग दूर रहते हैं। इससे आपकी दरिद्रता खत्म होती है। सुंदरकांड पाठ निरंतर करने से मानसिक सुख शांति प्राप्त होती है।
अनहोनी दूर करे
अगर आप किसी ऐसी जगह पर रहते हैं जो सूनसान है। और आपको हमेशा किसी अनहोनी का डर रहता है। तो आप सुंदरकांड का पाठ करें। इससे आपके पास आने वाली हर समस्या दूर रहती है।
बच्चे आदर ना करें तो सुंदरकांड का पाठ
अगर आपके बच्चे आपकी सुनते नहीं और बड़ों का आदर नहीं करते हैं तो आप अपने बच्चों को सुंदरकांड का पाठ करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। अगर वे अपने संस्कारों को भूल गए हैं तो आप बच्चों को सुंदरकांड का पाठ बच्चों से करवा सकते हैं।
कर्ज से छुटकारा
अगर आप पर बहुत सारा कर्ज हो गया है तो आपको सुंदरकांड का पाठ करना चाहिए। सुंदरकांड का पाठ कर्ज से मुक्ति दिलाता है।मन के भय से मुक्ति अगर आपको रात को डर लगता है और बुरे सपने आते हैं तो आपको सुंदरकांड पाठ करना चाहिए। जिस तरह से हनुमान चालिसा का पाठ करने से मन के भय से मुक्ति मिलती है। ठीक उसी तरह से सुंदरकांड का पाठ करने से मन के भय से मुक्ति मिलती है।