नेशनल लोक अदालत : न्याय खुद चल पड़ा पक्षकारों के द्वार,आपसी सुलह समझौते से 10 हजार का प्रकरणों निराकरण

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रायपुर @ News-36. न्याय खुद पक्षकारों के द्वार पहुंचकर प्रकरणों को सुलझाया गया। राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वावधान में न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा, कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एवं कार्यपालक अध्यक्ष, राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के निर्देश पर देश की पहली मोबाईल लोक अदालत (चलित न्यायालय ) शुक्रवार को दुर्ग, राजनांदगांव, रायपुर एवं महासमुंद जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से आयोजित की गई। जिसमें लंबित 07 प्रकरणों को आपसी सुलह समझौते द्वारा निराकरण किया गया।


इन मामलों में 2 प्रकरण दिव्यांग व्यक्तियों के जो जिला न्यायालय महासमुंद जिले के संबंधित थे, 01 व्यक्ति जिला चिकित्सालय में भर्ती था, 02 व्यक्ति बीमार होने के कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पा रहे थे । 02 व्यक्ति वृद्ध होने के कारण न्यायालय में उपस्थित नहीं हो पा रहे थेे, जिनके प्रकरणों के निराकरण के लिए मोबाईल लोक अदालत वैन उनके पास तक पहुंची एवं प्रकरणों का निराकरण की कार्यवाही पूर्ण की गई।


दुर्ग में न्यायाधीश हरेन्द्र नाग, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-1, दुर्ग के न्यायालय में वि0 आकाश यादव वगैरह प्रकरण धारा 323, 294, 506 भा.दं.सं. के अंतर्गत 2018 से लंबित था। इस प्रकरण को राजीनामा हेतु आज खण्डपीठ में रखा गया था। प्रकरण में तीन प्रार्थी थे, जिसमें से दो प्रार्थी न्यायालय में उपस्थित हो गए थे, परन्तु एक प्रार्थी दयानंद नामक व्यक्ति बीमार होने के कारण अस्पताल में भर्ती था, जिसकी सहमति के बिना राजीनामा होना संभव नहीं था। जिसकी जानकारी मिलने पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव राहुल शर्मा द्वारा पक्षकार के मोबाईल नंबर के माध्यम से संपर्क किया गया। प्रार्थी ने बताया कि वह अभी चलने-फि रने में असमर्थ है, वह अपनी सहमति प्रदान करने हेतु न्यायालय नहीं आ सकता है। जिसकी जानकारी सचिव ने जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव को जानकारी दी। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष के निर्देश पर पी.एल.व्ही. दुलेश्वर मटियारा को मोबाईल वैन के माध्यम से प्रार्थी का राजीनामा हेतु सहमति अंकित किए जाने के लिए भेजा गया, जिसमें प्रार्थी ने प्रकरण को राजीनामा के माध्यम से खत्म करने के लिए अपनी सहमति व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप वर्ष 2018 से लंबित यह प्रकरण समाप्त किया गया।

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दुर्ग में 2114 प्रकरणों का किया निराकरण
नेशनल लोक अदालत के तहत दुर्ग सहित पूरे छत्तीसगढ़ में राजीनामा योग्य 10 हजार से अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। वहीं दुर्ग में2124 प्रकरणों का निराकरण किया गया। जो कि प्रदेश के अन्य जिलों की तुलना में दुर्ग जिले में 3 गुना अधिक प्रकरणों का निराकरण किया गया। दुर्ग में नेशनल लोक अदालत के लिए कुल 37 खंडपीठ की स्थापना की गई थी। जिनमें कुल 1747 तथा अन्य 320 प्रकरण व स्थायी लोक अदालत जनो पयोगी सेवा में 22 प्रकरणों का निराकरण किया गया।

प्रदेश में 10 हजार से अधिक प्रकरण निराकृत
बता दें कि राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (नालसा) नई दिल्ली के निर्देशानुसार आज हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत का आयोजन छत्तीसगढ़ राज्य में तालुका स्तर से लेकर उच्च न्यायालय स्तर तक आयोजित की गई। राजीनामा योग्य प्रकरणों को पक्षकारों की आपसी सुलह समझौता से निराकृत किया गया। नेशनल लोक अदालत में 10 हजार प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है, जिसमें लगभग एक हजार मामले कोरोना काल में उल्लंघन से संबंधित धारा 188 के हैं जो शासन की पहल पर वापस लिये गये हैं। लोक अदालत प्रकरणों का निराकरण पक्षकारों की भौतिक अथवा वर्चुअल उपस्थिति में किया गया।

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