बेमेतरा @ news-36. कोरोना से डरना नहीं, लडऩा है, और हर वक्त सावधान रहना है। यह स्लोगन मैंने नहीं, इमरजेंसी सेवा में तैनात बेमेतरा के फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स ने दिया है। उन्होंने इनका अक्षरश:पालन भी किया है। तभी तो उन्हें कोरोना छू भी नहीं पाया।
मार्च के आखिरी सप्ताह में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर शुरू हुई है, तब से अब तक 2200 से ज्यादा संक्रमित मरीजों को एम्बुलेंस की सेवा प्रदान की गई हैं। इससे एक भी एम्बुलेंस कर्मी संक्रमित नहीं हुआ। और समय पर एम्बुलेंस की सेवा मिलने से किसी भी मरीज की रास्ते में जान नहीं गई। इमेंरजेंसी सेवा में तैनात कोविड महामारी में जान की परवाह न करते हुए मरीजों की सेवा में लगे हुए हैं।
संजीवनी एक्सप्रेस के पायलेट्स और इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन(ईंमटी ) की टीम, हमारे रक्त परिसंचरण तंत्र की तरह दिन-रात 24 घंटे सड़कों पर सायरन बताते हुए दौड़ रही है। हमारी एक कॉल पर, अपनी जान की परवाह किए बगैर संक्रमितों के घरों तक पहुंचते हैं और समय पर कोविड केयर हॉस्पिटल पहुंचाकर जान बचाने में मदद कर रहे हैं।
बेमेतरा में है 9 टीम
संजीवनी एक्सप्रेस-108 के जिला प्रबंधक रुपेंद्र मिश्रा बताते हंै कि, जिले में 21 पायलेट व 21 ईएमटी की 9 टीम का एम्बुलेंस कर्मियों का भी परिवार है, लेकिन ड्यूटी की खातिर सब कुछ छोड़ मरीजों की सेवा में जुटे हुए हैं। कोरोना महामारी के बीच मरीजों को बचाने के लिए 24 घंटे एंबुलेंस दौड़ रही है। चालकों के साथ इमरजेंसी मेडिकल टेक्नीशियन (ईएमटी) भी डटे हुए हैं। श्री मिश्रा कहते हैं कि कोशिश यही रहती है कि मरीजों को सही समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके। इस बीच कोई ट्रीटमेंट्स की जरूरत होती है तो वह भी देते हैं। मरीजों को ले जाने में मास्क, हैंडगल्ब्स, सेनेटाइजर के उपयोग को लेकर पूरी एहतियात बरतते हैं।
जान बचाना मेरा पहला कर्तव्य
108 संजीवनी एक्सप्रेस में कार्यरत ईएमटी गोकरण साहू बताते हैं संक्रमित मरीजों को अस्पताल लाने में बहुत ही एहतियात बरतनी पड़ती है। गंभीर मरीजों को आक्सीजन भी देनी पड़ती है। प्राथमिकता के आधार पर मरीजों की जान बचाना वह अपना कर्तव्य समझते हैं। स्वास्थ्य सेवा के लिए एम्बुलेंस सुविधा कोरोना कॉल में दिन रात दौड़ रही हैं, 24 घंटें दिन हो या रात किसी भी समय सूचना मिलने पर संक्रमितों को लेने व वापस ले जाने के लिए तैयार रहते हैं। जिनमें सबसे ज्यादा चक्कर 108 संजीवनी एक्सप्रेस को लगाना पड़ रहा है। संजीवनी एक्सप्रेस मरीजों को गांव-गांव जाकर घरों से अस्पताल तो ला ही रही है,, समय पडऩे पर रायपुर हायर रेफ रल सेंटर भी लेकर जाने में उनकी जान बचाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। पायलट और साथी बिना किसी हिचकिचाहट के मरीजों को पीपीई किट पहन कर दिन-रात मरीजों को सुविधाएं प्रदान करने में लगे हुए है।
मिशाल : किसी की जान न जाए, इसलिए रक्त परिसंचरण तंत्र की तरह 24 घंटे सड़कों पर दौड़ रही है संजीवनी, 40 दिनों में 2200 संक्रमितों को पहुंचाया अस्पताल,सभी सकुशल,पढि़ए कोरोना वॉरियर्स की अनटोल्ड स्टोरी…
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