भिलाई @ news-36. प्रदेश के चार नगर पालिक निगम के महापौर पद के आरक्षण से संबंधित याचिका पर उच्च न्यायालय, बिलासपुर में राज्य शासन और प्रदेश के दो नगरीय निकायों को जवाब तलब किया है। आरक्षण से संबंधित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई हुई। जहां याचिकाकर्ता और शासन , दोनों पक्ष के वकीलों ने न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष रखा। न्यायालय ने दोनों पक्ष की दलील के बाद राज्य शासन, नगर पालिक निगम भिलाई और नगर पालिक निगम रिसाली को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
फिलहाल चुनाव नहीं
याचिकाकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी की ओर वकील ने न्यायालय से नगर पालिक निगम के चुनाव को लेकर स्टे की मांग की, लेकिन न्यायालय ने उनकी अपील को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि, शासन ने फिलहाल नगर पालिक निगम का चुनाव नहीं कराने के संबंध में हलफनामा प्रस्तुत किया है। इसलिए स्टे का कोई औचित्य नहीं है।
मामले की सुनवाई अब दो सप्ताह बाद
अब इस याचिका पर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी। बता दें कि याचिकाकर्ता अली हुसैन सिद्दीकी ने नगर पालिक निगम बीारगांव, भिलाई-चरौदा, भिलाई और नगर पालिक निगम रिसाली के महापौर पद के आरक्षण और नगर पालिक निगम भिलाई के वार्डों के आरक्षण को लेकर दो अलग-अलग याचिका दायर की है। जिसमें उन्होंने नगर पालिक निगम रिसाली के महापौर पद को ओबीसी महिला के लिए किए गए आरक्षण को नियम 1994 का उल्लंघन बताया है। 2011 की जनसंख्या के अनुसार अनुसूचित जाति की जनसंख्या प्रतिशत रिसाली नगर निगम में सर्वाधिक है और अन्य वर्ग के पद के लिए आरक्षण नियम के विरूद्ध है।
एक साथ होगी दोनों याचिका की सुनवाई
उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश प्रशांत मिश्रा और न्यायाधीश पीपी साहू की खंडपीठ में एक साथ दो याचिका की सुनवाई हुई। न्यायालय ने प्रदेश के चार नगर पालिक निगम बीरगांव, भिलाई-चरौदा, भिलाई और नगर पालिक निगम रिसाली के महापौर पद के आरक्षण और नगर पालिक निगम भिलाई वार्डों के आरक्षण से संबंधित याचिका को मर्ज कर दिया है।
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