दुर्ग @ News-36.जिओ टैंगिग के माध्यम से डेंगू से निपटने की रणनीति बनाई गई है। आज इस पर प्रमुख सचिव स्वास्थ्य डॉ. आलोक शुक्ला की अध्यक्षता में हुई बैठक में चर्चा की गई। बैठक में यह तय किया गया कि जियो टैगिंग जैसी तकनीक के साथ ही परंपरागत तरीकों से डेंगू के रोकथाम के लिए कार्य किया जाएगा। साथ ही अस्पतालों की व्यवस्था भी सुदृढ़ रहेगी और इसकी निरंतर मॉनिटरिंग की जाएगी। डेंगू पेशेंट्स के लिए प्लेटलेट्स आदि के इंतजाम के लिए प्रभावी व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
प्रमुख सचिव ने आज डेंगू प्रभावित क्षेत्रों सेक्टर-4 एवं छावनी का निरीक्षण भी किया। यहां पर उन्होंने लोगों से बातचीत की। उन्होंने कहा कि सजग रहकर डेंगू की रोकथाम की जा सकती है। इस दौरान एनआरएचएम एमडी डॉ प्रियंका शुक्ला, कलेक्टर डॉ सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे, नगर निगम आयुक्त ऋ तुराज रघुवंशी भी उपस्थित थे। प्रमुख सचिव ने डेंगू के हॉटस्पॉट इलाकों में निगम अधिकारियों द्वारा किए जा रहे कार्यों का निरीक्षण भी किया। निगम अधिकारियों ने बताया कि यहां सतत रूप से फगिंग , टेमीफास दवा का वितरण किया जा रहा है। इसके साथ ही कूलर आदि की जांच भी की की जा रही है।
पानी जमा न हो इस बात का रखें ध्यान
डॉ. शुक्ला ने कहा कि डेंगू के मच्छर साफ पानी में पनपते हैं अत: यह बेहद जरूरी है कि साफ पानी का जमाव कहीं भी नहीं होने दिया जाए इसके लिए प्रभावी रूप से प्रचार प्रसार किया जाए तथा डेंगू से निपटने के लिए युद्ध स्तर पर रणनीति बनाई जाए। कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे ने कहा कि इस संबंध में सघन मॉनिटरिंग की जा रही है ताकि डेंगू को पनपने से रोका जा सके। डॉ. शुक्ला ने बताया कि जियो टैगिंग जैसी तकनीक से हॉटस्पॉट में कार्य करना बेहतर होगा और इससे अधिकाधिक मरीजों की पहचान हो सकेगी।
40 हजार टेस्टिंग किट
जिले को 40 हजार टेस्टिंग किट भी प्रदान किए जाएंगे ताकि अधिकाधिक संख्या में लोगों की टेस्टिंग हो सके और डेंगू पर प्रभावी नियंत्रण किया जा सके। मीटिंग में डॉ. आलोक शुक्ला ने जियो टैगिंग के द्वारा डेंगू मरीजों के स्पॉट मैपिंग के निर्देश दिए। इसके लिए छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य विभाग की वेबसाइट में एक सेक्शन दिया जाएगा, जिसमें डेंगू के लक्षण से ग्रसित कोई भी व्यक्ति उस सेक्शन में जाकर अपने नाम, पते व मोबाइल नंबर के साथ अपने आपको जियो टैग कर सकता है। लक्षण के आधार पर मलेरिया, डेंगू और हेपेटाइटिस तीनों के विकल्प उपलब्ध हैं। जिसमें जानकारी देने वाले व्यक्ति को अपने लक्षण के आधार पर तीनों में से एक विकल्प को चुनना है।
यह इस प्रक्रिया का प्राथमिक स्तर है। इसके बाद यह डाटा स्वास्थ्य विभाग में रिफ्लेक्ट होगा। जहां इस डाटा से संबंधित व्यक्ति का डिटेल लेकर लैब टेक्नीशियन वहां पहुंचेंगे और इसका सैंपल लेकर उसकी टेस्टिंग करेंगे। यदि टेस्टिंग में रिपोर्ट पॉजिटिव पाई जाती है तो उन व्यक्तियों को आइसोलेट कर स्वास्थ्य विभाग के द्वारा उनका ट्रीटमेंट चालू कर दिया जाएगा। यह प्लेटफार्म सभी आम जनता के लिए खुला रहेगा और इसमें एसएमएस अलर्ट सिस्टम भी रखा जाएगा। इस तरह, तकनीक के इस्तेमाल से डेंगू रोकथाम की प्रभावी मॉनिटरिंग की जा सकेगी। डॉ. शुक्ला ने कहा कि हॉस्पिटल में भी डेंगू मरीजों के सर्वोत्तम इलाज पर सतत नजर रखें। प्लेटलेट्स आदि की त्वरित व्यवस्था के लिए सिस्टम प्रभावी रूप से कार्य करता रहे।
