दुर्ग @ news-36.दाऊ श्री वासुदेव चंद्राकर कामधेनु विश्वविद्यालय दुर्ग के अंतर्गत पशुचिकित्सा एवं पशुपालन महाविद्यालय अंजोरा में वैज्ञानिक डेयरी पालन विषय पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें पशु चिकित्सकों ने किसानों को पशुओं की नस्ल पहचान करने के तरीके बताया। राज्य स्तरीय प्रशिक्षण 6 अगस्त तक चलेगी।
विश्वविद्यालय के कुलपति ,मुख्य अतिथि डॉ.एस.पी. इंगोले ने कहा कि वैश्विक महामारी के इस दौर में डेयरी व्यवसाय ने न केवल अपने आय को स्थिर किया है बल्कि प्रगति भी की है। इसमें असीम संभावनाएं हैं।इस प्रशिक्षण से युवाओं एवं कृषकों को लाभ होगा। अधिष्ठाता डॉ.एस.के. तिवारी ने बताया कि इस प्रशिक्षण में कृषकोपयोगी विषयों को ध्यान में रखकर बनाया गया है एवं कृषकों को इसका अधिक से अधिक लाभ उठाना चाहिए। डॉ.ए.के.सांतरा ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा के बारे में बताया। डॉ.के.मुखर्जी ने दुधारू पशुओं की नस्लों के बारे में कृषकों को जागरूक होने की सलाह दी।डॉ.एस.पी. इंगोले के मुख्य आतिथ्य में की गई। कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ.एस.के तिवारी द्वारा की गई। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि डॉ.ए.के. सांतरा, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष पशु उत्पादन एवं प्रबंधन विभाग तथा डॉ. के.मुखर्जी प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष आई.एल.एफ.सी.विभाग थे
125 पशु पालक हुए शामिल
आई.एल.एफ.सी सह-प्राध्यापक डॉ.धीरेंद्र भोंसले ने बताया कि 125 से अधिक कृषकों ने अपना पंजीयन कराया है। कार्यक्रम में प्रिज्म ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के डायरेक्टर रूपेश गुप्ता भी उपस्थित थे। उन्होंने कृषकों को प्रशिक्षित होकर गुजरात की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में डेयरी विकास की संभावनाओं पर प्रकाश डाला। वे स्वयं इस प्रशिक्षण के प्रतिभागी है साथ ही प्रिज्म ग्रुप ऑफ़ इंस्टीट्यूट के अनेक सहयोगी एवं सदस्य भी इस प्रशिक्षण में शामिल है। उद्घाटन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. दिलीप चौधरी के अतिरिक्त डॉ.सुभाष वर्मा, डॉ.क्रांति शर्मा, डॉ. शिवेश देशमुख एवं अन्य गणमान्य शिक्षक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के अंत में डॉ.किरण कुमारी ने प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वालों का आभार जताया। संचालन डॉ.रूपल परमार ने किया।