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Exclusive : चहेतों को आरी डोंगरी खदान का ठेका दिलाने, इस बार भी नए नियम का पेंच, लॉकडाउन में सीएमडीसी के दफ्तर में डीडी जमा करने वालों को निविदा भरने की पात्रता पर उठे सवाल

रायपुर @ news-36.छत्तीसगढ़ में आयरन ओर के एक खदान का ठेका में अपनों को उपकृत करने के लिए सरकार का एक तबका पूरी एड़ी-चोटी का जोर लगाए हुए हैं। पिछली बार की तरह ही, इस बार भी नियम कायदों को ताक पर रखकर निविदा की प्रक्रिया पूरी करने की कोशिश की गई है। पिछली बार ऐन वक्त में बड़े अधिकारियों के हाथ खड़ा कर देने की वजह से टेंडर को निरस्त करना पड़ा था। दूसरी बार बुलाई गई टेंडर के नियम शर्तो को लेकर सवाल उठना शुरू हो गया है।

बड़ा सवाल: कार्यालय आकर डीडी जमा करने का नियम क्यों ?
आरी डोंगरी के खदान के लिए इस बार जारी टेंडर में केवल इतना अंतर है कि, इस बार यह टेंडर खनिज विभाग से संबंधित बोर्ड की स्वीकृति के बाद जारी हुआ है। आनन फ ानन में निकाले गए इस टेंडर के लिए डीडी जमा करने की तिथि 1 मई से लेकर 10 मई तय की गई थी। जीएसटी को मिलाकर डीडी कुल 59 हजार रूपये का बनाकर जमा करना था और उसकी पावती ऑनलाइन टेंडर भरते समय अटैच करनी थी।
सीएमसीडी की इसी शर्त को लेकर लोग सवाल उठा रहे हैं कि जब टेंडर फ ॉर्म की कीमत जमा करने के लिए दूसरे ऑनलाइन माध्यम हैं। तब इस बार भी कार्यालय आकर डीडी जमा करने का नियम क्यों बनाया गया है? वह भी ऐसे समय में, जब पूरे प्रदेश में कोरोना फैला हुआ है, सभी प्रमुख स्थानों और दूसरे राज्यों में भी लॉक डाउन लगा हुआ है। ऐसे में जब सारे काम ऑनलाइन हो रहे हैं। सीएमडीसी अपने ठेके देने के लिए इस तरह ऑफ लाइन मोड पर काम करना चाहता है। ऐसे में विभाग की मंशा क्या है इसे अच्छी तरह समझा जा सकता है।
ठेका लेने अपनाए गए सारे हथकंडे
एक दौर था जब लोग किसी भी काम का ठेका पाने के लिए सारे हथकंडे अपनाया करते थे, मगर जब से शासकीय कामकाज में पारदर्शिता आई है, और टेंडर भरने की प्रक्रिया ऑनलाइन हुई है तब से ठेका हथियाने का काम लगभग कम हो गया है, मगर आरी डोंगरी के खदान के लिए पिछली बार वो सारे हथकंडे अपनाये गए, उसके बारे में आम लोगों के लिए सोच पाना मुश्किल था। इस खदान के लिए पिछली बार जो नियम बनाये गए थे उसके मुताबिक टेंडर फार्म की कीमत का डिमांड ड्राफ्ट सीएमडीसी के नवा रायपुर स्थित कार्यालय में जमा करने के बाद उसकी पावती टेंडर फ ॉर्म ऑनलाइन भरते समय लगानी थी। मगर संबंधित समयावधि में कोई ठेकेदार डीडी लेकर सीएमडीसी के कार्यालय में घुस ही नहीं पाया। केवल वे ही अंदर जा सके, जिनके दफ्तर में बैठे लोगों के चहेते थे। सूत्रों की मानें तो आरी डोंगरी के खदान के टेंडर भरने के लिए पिछली बार जो तिथि तय की गई थी। उस दौरान सीएमडीसी कार्यालय के चारों और बकायदा सुरक्षा घेरा बनाकर रखा गया था और लोगों को घुसने से रोकने के लिए बाउंसर भी रखे गए थे।

जब मामला गरमाया, तब टेंडर हुआ कैसिंल
पिछली बार इस खदान के टेंडर के लिए अनेक लोगों ने अपनी किस्मत आजमाने का प्रयास किया, मगर सीएमडीसी के इर्द गिर्द जिस तरह की गुंडागर्दी की गई, उसके चलते वहां अनेक लोगों के झगड़े भी हुए और अच्छे रसूखदार लोगों को वापस लौटना पड़ा, और वे टेंडर नहीं भर सके। बाद में इस मामले की उच्च स्तरीय शिकायत हुई और विभाग के बड़े अधिकारियो ने हाथ खड़े कर दिए तब मजबूरन इस टेंडर को निरस्त किया गया।

सवाल राजस्व का था इसलिए आया चर्चा में
पिछली बार आरी डोंगरी के आयरन ओर खदान के लिए जिन चहेतों को टेंडर फॉर्म भरने की पात्रता हासिल हुई, बताया जाता है उन्होंने टेंडर में काफी कम दर भरा था। अगर तब उन्हें खदान संचालन का ठेका दे दिया गया होता तब सरकार को लगभग 5 सौ करोड़ रुपए राजस्व का नुकसान होता। हालांकि इस खदान के लिए दूसरा टेंडर जारी हो गया है, मगर इस बार भी टेंडर की प्रक्रिया फि र से चर्चा में है।

आरी डोंगरी के बारे में ये जानना जरूरी है..
आरी डोंगरी का आयरन ओर का यह खदान कांकेर जिले के भानुप्रतापपुर तहसील के कचही गांव के अंतर्गत 167 हेक्टेयर भूभाग में फैला हुआ है। जिसे किसी कंपनी को ठेके पर देने का फैसला राज्य सरकार ने किया है। इसी के तहत छत्तीसगढ़ मिनरल्स डेवलपमेंट कारपोरेशन (सीएमडीसी)ने इस वर्ष के शुरुआत में एक टेंडर निकाला था, मगर बाद में इस टेंडर को निरस्त करना पड़ा।

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