नई दिल्ली @ news-36. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरण के दौरान यात्री वाहनों के लिए दोबारा पंजीकरण नियमों को सरल बनाने के एजेंडा मूर्त रूप देने में जुट गई है। दोबारा पंजीकरण से संबधित मसौदा नियमोंं की एक अधिसूचना वेबसाइट पर जारी की है। इस मसौदे को अंतिम रूप देने से पहले सार्वजनिक / राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से अधिसूचना की तारीख से 30 दिनों के लिए सुझाव आमंत्रित किया गया है।
अधिसूचना के मुताबिक एक राज्य से दूसरे राज्य में स्थानांतरित करने वालों के लिए अपने वाहनों को फिर से पंजीयन करवाना बहुत आसान हो जाएगा। भारत के किसी भी राज्य में एक नए राज्य में स्थानांतरित होने पर व्यक्तिगत वाहनों से बिना कोई हस्तक्षेप के आवागमन की सुविधा प्रदान करेगी।
@ news-36. केवल 12 महीने रखने की अनुमति
एक व्यक्ति को मूल राज्य के अलावा किसी भी राज्य में जहां वाहन मूल रूप से पंजीकृत है, 12 महीने तक वाहन रखने की अनुमति होती है। नए राज्य में पंजीकरण प्राधिकरण के साथ नया पंजीकरण 12 महीने के भीतर किया जाना आवश्यक है। स्टेशन स्थानांतरण की यह समस्या, दोनों सरकारी और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के साथ होता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 47 के तहत, इस तरह के स्थानांतरण में मूल राज्य से दूसरे राज्य में पंजीकरण के हस्तांतरण के संबंध में कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
@ news-36. इनको होगा फायदा
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय वाहन पंजीकरण की एक नई प्रणाली को “आईएन” श्रृंखला के रूप में चिह्नित करने का निर्णय लिया है। आईएन श्रृंखला के तहत वाहन पंजीकरण सुविधा सेना के जवान/रक्षा कर्मियों, केंद्र सरकार, राज्य सरकारों, केंद्रीय / राज्य सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र की कंपनियों / संगठनों के लिए उपलब्ध होगी, जिनके कार्यालय पांच या अधिक राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में हैं।
@ news-36.नया पंजीयन के लिए ये कदम उठाने होंगे
- किसी अन्य राज्य में नए पंजीकरण चिह्न / नंबर प्राप्त करने के लिए मूल राज्य से अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करना होगा.
- नए पंजीकरण चिह्न को प्राप्त करने के लिए नए राज्य में प्रो-राटा आधार पर रोड टैक्स का भुगतान किया जाता है.
- मूल राज्य में प्रो-राटा आधार पर रोड टैक्स की वापसी के लिए आवेदन करना होगा.
- प्रो-राटा आधार , मूल राज्य से धन वापसी का प्रावधान है। यह एक बहुत ही बोझिल प्रक्रिया है जो एक राज्य से दूसरे राज्य में अलग-अलग होती है।