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सिरिशा बांदला बनी अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला

न्यूज डेस्क @ News-36. एरोनाटिक इंजीनियर बांदला, अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गईं। वह रविवार को अंतरिक्ष पर्यटन कंपनी वर्जिन गैलैक्टिक के मालिक रिचर्ड ब्रैनसन के साथ अपनी सबसे रोमांचकारी यात्रा में अपने रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष पहुंचे। उड़ान भरने से पहले उन्होंने ट्वीट किया है।

सिरिशा बांदला, ब्रानसन और पांच अन्य लोगों के साथ वर्जिन गैलेक्टिक अंतरिक्ष यान पर सवार हुईं और न्यू मैक्सिकों से उड़ान भरी। उड़ान भरने से पहले बांदला ने ट्वीट किया, उसमें लिखा है कि यूनिटी 22 के शानदार चालक दल का सदस्य और कंपनी का हिस्सा बनाकर अभूतपूर्व तरीके से सम्मानित किया है जिसका मिशन अंतरिक्ष को सभी के लिए मुहैया कराना है।

रॉकेट 50,000 फुट की ऊंचाई पर जाएगा

वीएसएस यूनिटी को इंजन युक्त वीएमएस ईव (ब्रेनसन की मां के नाम पर रखा) रॉकेट 50,000 फुट की ऊंचाई पर जाएगा। यहां यूनिटी पृथ्वी के वातावरण के बाहरी किनारे पर करीब 8 किलोमीटर की यात्रा करेगा।

ब्रैनसन एक सप्ताह में 71 साल के हो जाएंगे
बता दें कि, ब्रैनसन ने अचानक ही पिछले दिनों ट्विटर पर अंतरिक्ष यात्रा की घोषणा की थी। उस हिसाब से गर्मी के अंत तक उनके उड़ान पर जाने की संभावना नहीं थी लेकिन ब्लू ऑरिजिन के जेफ बेजोस द्वारा 20 जुलाई को वेस्ट टेक्सास से अपने रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष में जाने की घोषणा के बाद ब्रैनसन ने पहले ही अंतरिक्ष यात्रा पर निकलने का फैसला किया। रविवार को अपनी सबसे रोमांचकारी यात्रा में अपने रॉकेट के जरिए अंतरिक्ष पहुंचे। उनकी उड़ान का मकसद अंतरिक्ष पर्यटन को बढ़ावा देना है जिसके लिए पहले से 600 से ज्यादा लोग इंतजार कर रहे हैं। ब्रिटेन के वर्जिन समूह के संस्थापक ब्रैनसन एक सप्ताह में 71 साल के हो जाएंगे।

अंतरिक्ष यान ने न्यू मैक्सिको के दक्षिणी रेगिस्तान से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी । करीब पांच सौ लोग दर्शकों में शामिल थे जिनमें उनकी पत्नी, बेटा बेटी और पोता पोती भी थे। यान में ब्रैनसन के साथ कंपनी के पांच कर्मचारी भी सवार थे। अंतरिक्ष यान करीब 8 1/2 मील (13 किमी) की ऊंचाई पर पहुंचने के बाद अपने मूल विमान से अलग हो गया और करीब 88 किमी की ऊंचाई पर जाकर वह अंतरिक्ष के छोर पर पहुंच गया। यहां पहुंचने पर चालक दल के सदस्यों को कुछ मिनट के लिए भारहीनता की स्थिति महसूस हुई ।

आंध्र प्रदेश के गुंटूर में हुआ था बांदला का जन्म
बता दें कि सिरिशा बांदला का जन्म आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में हुआ है जबकि उनकी परवरिश ह्यूस्टन में हुई है। बांदला जब चार साल की थीं तब अमेरिका चली गई थीं और वर्ष 2011 में पुर्डे यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ एयरोनॉटिक्स से विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। उन्होंने वर्ष 2015 में जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री हासिल की। अंतरिक्ष यात्री के तौर पर उनका बैज संख्या 004 है और उड़ान में उनकी भूमिका अनुसंधान करने की है। अन्य चालक दल सदस्यों में दो पायलट और अरबपति ब्रानसन सहित तीन अन्य लोग हैं।

पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स का सफर..
बांदला अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की तीसरी महिला बन गई हैं। उनसे पहले कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स अंतरिक्ष का सफ र कर चुकी हैं। हालांकि, भारतीय नागरिक के तौर पर अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले एक मात्र विंग कमांडर राकेश शर्मा हैं। वायुसेना के पूर्व पायलट शर्मा तीन अप्रैल 1984 को सोवियत इंटरकोस्मोस कार्यक्रम के तहत सोयुज टी-11 से अंतरिक्ष में गए थे।
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