बिलासपुर @ News-36. छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के मामले याचिकाकर्ता के पक्ष में फैसला दिया है। पुत्री ने पिता की मौत के बाद अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवदेन किया था। जिसे जिला शिक्षा अधिकारी ने अस्वीकार कर दिया था। जिसे उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुनौती दी थी। न्यायालय ने याचिकाकर्ता प्रियंका गजभिये के पक्ष में फैसला दिया है।
बालोद जिले के ग्राम-कन्याडबरी निवासी कुमारी प्रियंका गजभिये के पिता अमृत राव गजभिये प्रधान पाठक के पद पर पदस्थ थे। सेवाकाल के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पुत्री प्रियंका गजभिये ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए बालोद जिला शिक्षा अधिकारी के समक्ष आवेदन किया, लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी ने उनके आवेदन यह कहते हुए खारिज़ कर दिया गया कि उसके बड़े भाई भीमराव गजभिये पुलिस कान्सटेबल के पद पर पदस्थ है। प्रियंका ने अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप के माध्यम से जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश को हाईकोर्ट याचिका दायर कर चुनौती दी।
अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं लक्ष्मीन कश्यप द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि याचिकाकर्ता के बड़े भाई का मई 2015 में विवाह हो गया एवं वे अपनी पत्नी एवं पुत्र साई रेहान के साथ पृथक से रहते हैं। याचिकाकर्ता एवं उनकी माता को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता नहीं करते हैं। याचिकाकर्ता द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष अपने परिवार के राशनकार्ड को भी प्रस्तुत किया गया, जिसमें सिर्फ याचिकाकर्ता प्रियंका गजभिये एवं उनकी माता का नाम दर्ज है। जबकि बड़े भाई जो शासकीय सर्विस में हैं, उनके परिवार से पृथक रहने के कारण राशन कार्ड में उनका नाम दर्ज नहीं है।
उच्च न्यायालय बिलासपुर द्वारा उक्त रिट याचिका की सुनवाई के बाद जिला शिक्षा अधिकारी, बालोद द्वारा जारी किये गए आदेश को निरस्त करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी, बालोद को यह निर्देशित किया गया कि वे उक्त तथ्य के सत्यता की जांच करें एवं जांच के बाद यदि यह पाया जाता है कि याचिकाकर्ता के भाई जो शासकीय सर्विस में हैं, उनके द्वारा परिवार को किसी प्रकार की आर्थिक सहायता प्रदान नहीं की जाती है तो याचिकाकर्ता को सहायक ग्रेड-3 के पद पर अनुकम्पा नियक्ति प्रदान करें.