केन्द्रीय जेल का औचक निरीक्षण करने पहुंचे न्यायाधीश को मिली खामियां, बंदियों ने बताई अपनी समस्याएं

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  • सजायाफ्ता बंदियों को मिलेगा परिहार पायलेट प्रोजेक्ट का लाभ, 01 अगस्त से शुरू होगा प्रोजेक्ट

दुर्ग @ news-36. केन्द्रीय जेल दुर्ग का औचक निरीक्षण करने पहुंचे जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव को साफ-सफाई का अभाव के साथ दाल की मात्रा कम मिली। बंदियों से पूछताछ कर उनकी समस्याएं सुनी। एसपी प्रशांत अग्रवाल सहित अन्य अधिकारियों की मौजूदगी में जेल अधीक्षक की बैठक लेकर व्यवस्था में सुधार के निर्देश दिए।

निरीक्षण के दौरान वह रसोईघर पहुंचे। जहांं दाल की मात्रा कम पाई गई। न्यायाधीश ने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को 150 ग्राम दाल दिए जाने का प्रावधान है। उन्होंने दाल की मात्रा बढ़ाने के निर्देश दिए। कुछ स्थानों पर साफ-सफाई की कमी होने पर उसे सफाई कराने के निर्देश दिए। अध्यक्ष राजेश श्रीवास्तव और पुलिस अधीक्षक प्रशांत अग्रवाल ने केन्द्रीय जेल के पुरुष एवं महिला बैरक में जाकर विचाराधीन बंदियों एवं सजायाफ्ता बंदियों से मुलाकात की उनकी समस्या भी सुनी।

न्होंने बताई अपनी समस्याएं
निरीक्षण के दौरान एक सजायाफ ता बंदी ओमप्रकाश, रामकिशन ने बताया कि उसका एक पैर नहीं है। उन्होंने कृत्रिम पैर लगवाने हेतु जिला एवं सत्र न्यायाधीश से निवेदन किया। जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा जेल अधीक्षक को उचित कार्यवाही के लिए निर्देशित किया।
वहीं एक कैदी रामनारायण कवर्धा निवासी है, जिसके द्वारा कवर्धा जेल में स्थानांतरण के लिए निवेदन किया है जिस पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने जेल अधीक्षक को निर्देशित किया गया।

इन बिन्दुओं पर निरीक्षण
निरीक्षण में यह विशेष रूप से देखा गया कि केन्द्रीय जेल में बंदियों को कोविड-19 के संक्रमण से बचाव के लिए क्या-क्या व्यवस्था की गई है। नवीन बंदी जो जेल में प्रवेश करते है उनके लिए कोविड -19 के संबंध में स्वास्थय चिकित्सा परीक्षण की क्या व्यवस्था है। बंदियों को मास्क दिया गया है अथवा नहीं। बंदियों के मध्य सोशल डिस्टेसिंग रखा जा रहा है अथवा नहीं। बंदियों को शासन के नियमानुसार कोविड संक्रमण के संबंध में टीकाकरण समय-समय पर करवाया जा रहा है अथवा नहीं। निरीक्षण में कोई भी आपत्तिजनक वस्तु अथवा नशा से संबंधित वस्तु नहीं पाई गई । बंदियों को दिये जाने वाले भोजन सामग्री की गुणवत्ता देखी गई।

बैठक में दिए ये निर्देश
निरीक्षण के बाद बैठक ली। जहां उन्होंने ऐसे बंदी जिन्हें 432(2) दंड प्रक्रिया संहिता के तहत् परिहार पर रिहा किया जा सकता है, के संबंध में जानकारी प्राप्त की गई । जेल प्रशासन को ऐसे बंदी जिन्हें परिहार का लाभ दिया जा सकता है, उनके आवेदन के लंबित रहने के कारणों सहित जानकारी प्राधिकरण को प्रेषित किये जाने के लिए निर्देशित किया गया। उन्होंने बताया कि यह प्रोजेक्ट 1 अगस्त 2021 से शुरू होगी। वहीं न्यायाधीश ने महिला जेल में कुल 5 नाबालिक बच्चे हैं जो महिला कैदी के संरक्षण में है उन बच्चों की पढाई एवं स्वास्थय का विशेष रूप से ध्यान रखे जाने के निर्देश िदए। इस दौरान मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट संतोष ठाकुर ,जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के सचिव राहूल शर्मा

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