ताराचंद सिन्हा / भिलाई @ news-36.ट्रांसपोर्ट नगर की मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर पिछले 33 साल से चली आ रही ट्रांसपोर्ट नगर कल्याण एवं विकास समिति, हथखोज भिलाई का संघर्ष आज खत्म हो गया। ट्रांसपोर्ट नगर में मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर समिति का संघर्ष अविभाजित मध्यप्रदेश के शासन काल 1987 में शुरू हुआ था। यह संघर्ष, ज्ञापन, धरना प्रदर्शन, जनप्रतिनिधियों से मुलाकात के माध्यम 2019 तक चलता रहा। इस बीच संघ ने कई बार चक्काजाम किया। भूख हड़ताल किए। 5-5 साल के अंतराल में सत्ता की कुर्सी पर बैठने वाली सरकारों से गुहार भी लगाई, लेकिन बात नहीं बनी।
सन 2000 में मध्य प्रदेश से अलग होकर छत्तीसगढ़ राज्य बना, तो ट्रक मालिकों की उम्मीद जगी कि,शायद अब उनकी मांगे सुनी जाएंगी। संभवत: ऐसा हुआ भी। तत्कालीन मुख्यमंत्री अजीत प्रमोद कुमार जोगी 2003 के विधानसभा चुनाव से पहले भिलाई आए थे। तब उन्होंने 2003 की विस चुनाव में जीत मिलने के बाद ट्रांसपोर्ट नगर को एशिया महाद्वीप के सबसे बड़ी कंपनी बीएसपी की तरह ही भिलाई में सबसे बड़ा ट्रांसपोर्ट नगर बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन चुनाव में कांग्रेस को बहुमत नहीं मिली और भाजपा ने सरकार बनाई। डॉ रमन सिंह मुख्यमंत्री बनें। समिति के पदाधिकारियों ने मुलाकात कर ट्रांसपोर्ट में सड़क, नाली, बिजली पानी की समस्याएं बताई। यह सिलसिला 2016 तक चलता रहा। उनकी मांगों के लिए फंड की स्वीकृति नहीं मिली। समिति ने 2017 में क्रमिक भूखहड़ताल के माध्यम से हथखोज ट्रांसपोर्ट नगर की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराने का प्रयास किया। सरकार की ओर से आश्वासन पर आश्वासन मिलती रही। विधानसभा चुनाव के ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह ने घोषणा की, लेकिन 2018 तक फंड की स्वीकृति नहीं मिली।

भूपेश सरकार ने दिया 56 करोड़ से अधिक का बजट
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार ने डेढ़ साल में कर दिखाया। 2018 में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की सरकार आई तब एसोसिएशन ने उनसे मुलाकात की। 2019 में छठ पूजा पर अवकाश देने के लिए छत्तीसगढ़ी भोजपुरी परिषद ने खुर्सीपार के श्रीराम चौक स्थित मैदान (अंडा चौक)में मुख्यमंत्री का सम्मान किया, तब मुख्यमंत्री ने समिति के संरक्षक प्रभुनाथ बैठा की मांग पर कहा था कि,ट्रांसपोर्ट नगर का प्रोजेक्ट मंगवाया है। प्रोजेक्ट के अनुसार फंड की स्वीकृति दी जाएगी। लगभग डेढ़ साल बाद 56 करोड़ 31 लाख की स्वीकृति देने के साथ विकास कार्यों की आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से प्रस्तावित कार्यों का भूमिपूजन किया। इसी के साथ हथखोज ट्रांसपोर्ट नगर से जुड़े लगभग 2 हजार व्यावसायियों की वर्षों पुरानी मांगे पूरी होने जा रही है।

18 महीने में आकार लेगा 68.36 एकड़ का ट्रांसपोर्ट नगर
ट्रांसपोर्ट नगर नगर पालिक निगम भिलाई-चरौदा निगम के वार्ड-1 हथखोज के अंतर्गत आने वाले ट्रांसपोर्ट नगर का विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकरण भिलाई (साडा) के दौरान वर्ष 1986-87 में कुल 68.63 एकड़ में प्लॉन किया गया था। साडा ने दो फेज में इसका प्लॉन तैयार किया था। जिसमें फस्र्ट फेज के भूखंडों का आवंटन हो चुका है। जिसमें मूलभूत सुविधाएं जैसे सीसी रोड, नाली, पाथ-वे, पार्किंग, प्रकाश व्यवस्था, बिजली, पानी, टायलेट, विश्राम गृह का अभाव है। इस कार्य के लिए निगम प्रशासन चरौदा ने 28 करोड़ 82 लाख 23 हजार का प्रस्ताव तैयार किया है।
द्वितीय फेज में 68.63 एकड़ भूखंड का 67 फीसदी हिस्सा खाली पड़ा है। इस भूखंड में मूलभूत सुविधाएं विकसित किया जाएगा। इसके लिए शासन ने 27 करोड़ 49 लाख 3 हजार रुपए की स्वीकृति दी है। प्रस्तावित कार्यों को ठेका लेने वाले एजेंसी 18 महीने में पूरा कर निगम प्रशासन को हैंडओवर करेगा।
प्रदेश का सबसे बड़ा और पुरानी ट्रांसपोर्ट नगर
- प्रदेश का सबसे पुरानी ट्रांसपोर्ट नगर है। इसका दुर्ग, भिलाई, रायपुर, कोरबा, बिलासपुर, रायगढ़, जगदलपुर सहित प्रदेश और देश के ट्रंासपोर्ट से जुड़े व्यावसायियों द्वारा उपयोग किया जाता है।
- एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा इस्पात संयंत्र भिलाई में है। यहां से देश और देश के बाहर बीएसपी के स्टील उत्पाद की सप्लाई होती है। वहां से भी यहां माल आती है। गाडिय़ां ट्रांसपोर्ट नगर में खड़ी होती है। इस वजह से भिलार्र्ई के ट्रांसपोर्ट नगर का नाम प्रदेश और देश के बाहर भी जाना जाता है।
ये व्यवस्थाएं कर बनाया जा सकता है देश का मॉडल ट्रांसपोर्ट नगर
- गाडिय़ों का फिटनेस के लिए यातायात विभाग का दफ्तर खोलना चाहिए। इससे वाहन मालिकों का समय बचेगा। मौके पर ही गाडिय़ों की फिटनेस हो जाएगा।
- ड्रायवर, हेल्पर और व्यावसायियों का नियमित स्वास्थ्य चेकअप के लिए एक प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की व्यवस्था किया जाना चाहिए। माल के आयात और निर्यात को लेकर ड्रायवर देशभर घूमते रहते हैं। उन्हें संक्रामक बीमारियों का खतरा हमेशा बना रहता है।
- टेम्प्ररी लाइसेंस बनाने के लिए एक सुविधा केन्द्र बनाना चाहिए
- भोजन की व्यवस्था के लिए अच्छा से होटल होना चाहिए
- दैनिक उपयोगी वस्तुओं की बिक्री के लिए सोसाइटी के माध्यम से एक किराना का दुकान का संचालन लोगों को रोजगार दिया जा सकता है।