नई दिल्ली @ news-36.भारतीय हॉकी टीम ने 41 साल बाद ओलंपिक में पदक हासिल किया है। भारत ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक के मुकाबले में जर्मनी को हराया। मैच में शुरुआत में पिछड़ने के बाद भारत ने जोरदार वापसी की और जर्मनी के खिलाफ मैच को 5-4 से जीत लिया। इससे पहले आखिरी बार हॉकी में टीम इंडिया ने 1980 में ओलंपिक मेडल जीता था।
ओलंपिक में पदक जिताने में मनप्रीत का योगदान
भारतीय हॉकी के 78 वर्षीय दिग्गज हरबिंदर सिंह दिल्ली के मिंटो रोड स्थित उस रेलवे कालोनी में रहते हैं, जहां उन्हें घर बैठे पटरी पर चलती रेल की आवाज साफ सुनाई देती है। पर उन्हें तो इंतजार भारतीय हॉकी के पटरी पर लौटने का था। मनप्रीत की टीम ने वो हसरत पूरी कर दी।टोक्यो के स्वर्ण के अलावा तीन ओलंपिक पदक जिताने में उनका योगदान रहा है। मनप्रीत की टीम के पदक पर देश नाच रहा है।ती
हॉकी के गौरवशाली इतिहास में भागीदारी करने वाले इस दिग्गज का कहना है कि हॉकी के पदक के मायने ही अलग होते हैं। एक किस्सा सुनाते हैं, जब हम टोक्यो से स्वर्ण जीतकर लौटे थे तो पूरे देश में जश्न का माहौल था, जैसे कोई त्यौहार मनाया जा रहा हो। एयरपोर्ट पर जैसे ही हमारा विमान उतरा। ढोल नगाड़ों की आवाज और भारत माता की जय के नारे गूंज रहे थे।
आगे कहा कि उस समय सुरक्षा को लेकर अब जैसी पाबंदियां नहीं थी। विमान का दरवाजा खुलते ही लोग अंदर आ गए और खिलाड़ियों को कंधों पर उठा लिया और भांगड़ा करने लगे। उसी विमान से अमेरिका के कुछ एथलीट आ रहे थे। उन्हें आगे जाना था। उन्होंने पूछा कि इतनी भीड़ और शोर-शराबा क्यों हो रहा है।
बताया कि भारत ने गोल्ड मेडल जीता है। वो बोले, हम तो दर्जनों गोल्ड मेडल जीतते हैं। हमारा तो ऐसा वेलकम नहीं होता। हमारे एक साथी ने कहा, हमारा एक स्वर्ण, तुम्हारे दर्जनों गोल्ड पर भारी है।
हरबिंदर सिंह सिर्फ 57 साल पहले टोक्यो में मिली जीत में बतौर खिलाड़ी ही शरीक नहीं रहे। इस बार मिली जीत में भी उनका नाता जुड़ा है। वह महिला और पुरुष दोनों हॉकी टीमों की चयन समिति के प्रमुख सदस्य हैं। इससे पहले छह-सात साल पर्यवेक्षक भी रहे हैं। हरबिंदर सिंह का परिवार हॉकी से जुड़ा है। पिता राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी थे। भाई एचजेएस चिमनी 1975 विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे हैं।
1966 की बैंकॉक एशियाई खेलों की चैंपियन टीम के सदस्य हरबिंदर बताते हैं कि जब टोक्यो ओलंपिक से स्वदेश लौटने के बाद दिल्ली में विजय जुलूस निकाला गया था।
लाल-किला, दरियागंज, इर्विन रोड से इंडिया गेट तक लोग सड़क के दोनों ओर खड़े थे। खिलाड़ियों पर फूलों की बारिश हो रही थी, नारे लग रहे थे। अपनी उपलब्धि पर बड़ा फख्र हो रहा था, आज भारतीय टीम ने फिर से उन खुशनुमा यादों को ताजा कर दिया।