रायपुर @ News-36. छत्तीसगढ़ ही नहीं, अपितु देशभर में कोरोना वायरस से हर दिन बड़ी संख्या में लोग संक्रमित होकर बीमार पड़ रहे हैं। हॉस्पिटल में नो बेड की स्थिति है। लाइफ-लाइन आक्सीजन को लेकर हा हाकार मचा हुआ है। इस तरह की स्थिति के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं? केन्द्र, राज्य सरकार या फिर लोग। अगर केन्द्र सरकार लॉकडाउन लगाए तो राज्यों के लिए बुरी। यदि केन्द्र नहीं लगाए, तो राज्यों के लिए बुरी। राज्य सरकार लगा दें तो # लोग नाराज।
वायरस का संक्रमण, कोई एक पार्टी की बात नहीं है। अगर कोरोना को बीजेपी या शिवराज सिंह चौहान रोक सकते तो मध्यप्रदेश में 4400 से ज्यादा मौत नहीं होती। अगर कांग्रेस रोक सकती तो, छत्तीसगढ़ जैसे छोटे राज्य में 10,000 से ज्यादा मौतें नहीं होती। अगर शिवसेना रोक सकती तो महाराष्ट्र में 58 हजार से ज्यादा मौतें नहीं होती। अगर आम आदमी पार्टी रोक सकती तो दिल्ली में यह हालात नहीं होते।
संक्रामक बीमारी है
यह एक प्रकार की संक्रामक बीमारी है। यह वायरस कब आपको संक्रमित कर देता है, आपको पता भी नहीं चलता। ऐसी अदृश्य वायरस से लडऩे के लिए राज्य या केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराने के बजाय, स्वयं को ज्यादा सजग होना पड़ेगा। दुनिया पर राज करने वाला अमेरिका जैसा देश, जिसके पास बड़े-बड़े वैज्ञानिकों की फौज है। जिसके पास आधुनिक चिकित्सा सुविधाएं है। उनका मुख्य व्यावसाय ही उपकरण, कल पुर्जे, हथियार और दवाई बनाना है। इसके बावजूद वह देश कोरोना के आगे घुटने टेक चुका है। अमेरिका में भी लाखों की जिंदगी कोरोना छीन चुका है। पूरी दुनिया के कई बड़े-बड़े देश कोरोना के आगे नतमस्तक हैं। ऐसे में किसी मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री पर दोषारोपण करना गलत है।
कोरोना को कोई कंट्रोल कर सकता है तो वह हैं आप
कोरोना को अगर कोई कंट्रोल कर सकता तो वह आप स्वयं है। जब तक आप कोरोना वायरस से हो रहे बीमारी को गंभीरता से नहीं लेंगे, तब तक कोई भी ताकत आपको कोरोना से नहीं बचा सकती है। अगर आपका कोई दोस्त है तो आप सोचते हैं यह तो मेरा दोस्त है इससे थोड़ी कोरोना होगा और आप सावधानी नहीं बरतते। या फिर आप यह सोचते हैं कि यह तो मेरा रिश्तेदार है। इससे थोड़े ही कोरोना होगा। या फिर आप यह सोचते हंै कि यह तो मेरा दुकान है। यहां पर थोड़ी कोरोना होगा, तो आप ही गैर जिम्मेदार हो।
मास्क लगाने में परहेज कैसा
मैं तो यह कहता हूं कि मास्क लगाने में परहेज क्यों ? जो काफी हद तक इस महामारी के लिए वैक्सीन की तरह हमारी सुरक्षा कवच है। इस बात को केन्द्र औ राज्य सरकार से लेकर गली-मोहल्ले में घूम रहे नगरीय निकाय के कर्मचारी भी लाउड स्पीकर लगाकर चिल्ला रहे हैं। देश के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री से लेकर सड़क पर खड़े जवान भी आप से हाथ जोड़कर मास्क लगाने और 6 फीट की दूरी बनाते हुए बातचीत की अपील कर रहा है तो हम क्यों उसका पालन नहीं कर रहे हैं। लापरवाह तो हम ही है। सरकारें व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का काम कर रही है। हर स्तर पर प्रयास कर रही है, लेकिन जब तक हम जागरूक नहीं होंगे। तब तक कोरोना पर लगाम नहीं लगाई जा सकती।
संसाधन सीमित है
रही बात व्यवस्थाओं की हर देश के पास सीमित संसाधन होते हैं और ऐसी परिस्थिति में उन में कमी आना स्वभाविक है। दिमाग पर थोड़ा जोर डालिए और सोचिए कि अगर घर के सभी सदस्यों को एक साथ अगर दस्त लग जाए तो आपके टॉयलेट कम नहीं पड़ेंगे। इसी प्रकार के हालात देश औ राज्यों की है। इसलिए कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करें। मास्क को आदत में सुमार कर लेंगे तो हास्पिटल जाने से बच जाएंगे।
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